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Success Story - 5 हजार का काम 500 रुपए में कर, किसानों की मदद कर रहा ये इलेक्ट्रिक बैल

हमारा भारत देश एक कृषि प्रधान देश रहा है। देश के अधिकतर लोग कृषि करना पसंद करते है और कृषि पर ही निर्भर है। आज हम आपको अपनी खबर में एक इलेक्ट्रिक बैल के बारे में बताने जा रहे है। जो खेती करते समय किसानों की मदद के लिए तैयार किया गया है। जिसके तहत 5 हजार का काम 500 रुपए में किया जा सकता हैं। 

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HR Breaking News, Digital Desk- कोरोना संकट को रोकने के लिए साल 2020 में मार्च के आखिरी हफ्ते में पूरे देश में लॉकडाउन किया गया था. तमाम चीजों पर पाबंदी लग चुकी थी. नौकरी के लिए शहर पहुंचे लोग अपने अपने गांव की ओर लौट रहे थे. इस वक्त देश में बड़े पैमाने पर वर्क फ्रॉम होम कल्चर पैदा हुआ.

पेशे से इंजीनियर तुकाराम सोनवने और उनकी पत्नी सोनाली वेलजाली को भी work-from-home करने का मौका मिला तो उन्होंने अपने गांव जाने का फैसला किया. पिछले 14 साल से शहर में नौकरी कर रहे तुकाराम पहली बार पुणे से अपने पैतृक गांव अंदरसुल कुछ समय के लिए रहने आए थे. उनका यहां आना लोगों के लिए वरदान साबित हुआ.

तुकाराम पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर हैं. उन्होंने बताया कि पहले वे त्योहारों के समय एक-दो दिन के लिए गांव आते थे, इसकी वजह यह थी कि शहर में नौकरी होने के कारण वे ज्यादा समय गांव में नहीं दे पाते थे. कोरोना लॉकडाउन में जब घर से काम करने का मौका मिला तो उन्होंने इसका पूरा फायदा उठाया.

इस बार उन्हें अपने घर में तसल्ली से रहने के साथ परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका मिला. गांव में तुकाराम को कुछ खास बदलाव महसूस नहीं हुआ. किसान अभी भी खेती से बेहतर पैदावार लेने के लिए जूझ रहे थे. खेती के लिए मशीन का इस्तेमाल कम हो रहा था और लोग खेती के लिए जानवर और मजदूर पर निर्भर थे.

इसके बाद तुकाराम ने अपनी पत्नी सोनाली के साथ मिलकर एक इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) बनाने का फैसला किया. तुकाराम ने कहा कि खेतों की जुताई-बुवाई और कीटनाशक के छिड़काव की प्रक्रिया में बहुत अधिक श्रम लगता है. मजदूरों की मदद से यह काम करने में काफी खर्च आता है.

किसानों के पास अब बैल की दिक्कत हो गई है क्योंकि उनका रखरखाव बहुत महंगा हो गया है. खेती की किसी भी प्रक्रिया में एक हफ्ते की देरी फसल की उपज को प्रभावित करती है. इसके बाद तुकाराम ने एक इलेक्ट्रिक बैल (Electric Bull) बनाने का फैसला किया.

तुकाराम के मुताबिक इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) सामान्य मवेशी की तुलना में सिर्फ 10 पैसे खर्च करता है और सारी प्रक्रिया ठीक से करता है. तुकाराम के गांव के किसानों ने बताया कि ट्रैक्टर और अन्य उपकरणों की वजह से खेती में काफी मदद मिली है. खेती की कुछ प्रक्रिया ऐसी है जो बैलों की मदद से ही संभव है, ट्रैक्टर से उसे नहीं किया जा सकता.

बीज बोने और कीटनाशक आदि के लिए बैल का इस्तेमाल किया जा सकता है, इसकी वजह यह है कि वृक्षारोपण के बीच की दूरी कम रहती है. इसी काम के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करने से किसानों को दिक्कत आती है. एक बार जब खेत में पौधे बड़े होने लगते हैं तो वहां तक ट्रैक्टर नहीं पहुंच सकता है, लेकिन बैल पहुंच जाता है.

महीनों तक किसानों की समस्या पर चर्चा करने के बाद तुकाराम ने एक इलेक्ट्रिक बैल (Electric Bull) बनाने का फैसला किया. ट्रायल पर काम करने के बाद तुकाराम ने इंजन से चलने वाले उपकरण की कल्पना की जो खेत की जुताई को छोड़कर बाकी सभी काम कर सके.

एक बार जब खेत जुताई के बाद तैयार हो जाता है और पहली बारिश होती है तो इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) वहीं से लेकर कटाई तक सभी काम का ध्यान रख सकती है. इलेक्ट्रिक बैल बेचने के लिए तुकाराम ने गतिशक्ति प्राइवेट लिमिटेड नाम का एक स्टार्टअप शुरू कर दिया. तुकाराम का इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) बिना एक्सेल का एक वाहन है जो खेती में अलग-अलग तरह के काम कर सकता है इससे समय और लागत की बचत होती है. Electric Bull को चलाने के लिए एक ही व्यक्ति की जरूरत है.

सोयाबीन की खेती करने वाले एक किसान ने बताया कि उन्होंने इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) का परीक्षण किया और उसकी मदद से कुछ ही घंटों में उनका काम पूरा हो गया. मशीन के बिना वे 12 मजदूर की मदद से 3 दिन में अपना काम पूरा कर पाते और इसमें उन्हें ₹5000 का खर्च करना पड़ता. इलेक्ट्रिक बुल (Electric Bull) नाम की इनोवेटिव मशीन उन किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है जिनकी खेती में ट्रैक्टर का प्रयोग नहीं किया जा सकता.